RPF Latest News: रायपुर रेल मंडल के आरपीएफ कमांडेंट द्वारा गांजा तस्करों और अवैध वेंडर्स पर कार्रवाई के निर्देश दिए जाने के बाद ही अचानक सक्रियता दिखी। दुर्ग आरपीएफ पोस्ट ने एक गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए दो आरोपियों को पकड़ा, पर सवाल ये है कि क्या ये तस्कर सिर्फ ड्राइव के दिन ही ट्रेन में चढ़ते हैं?

क्या “ऑपरेशन नारकोस” सिर्फ दिखावे के लिए?
मिली जानकारी के अनुसार, रेसुब पोस्ट दुर्ग और विखुशा रायपुर ने “ऑपरेशन नारकोस” के तहत मुखबिर की सूचना पर कार्रवाई की। पूरी-अहमदाबाद एक्सप्रेस के सामान्य कोच से दो संदिग्ध यात्रियों को सुबह 10:40 बजे दबोचा गया। उनके पास मौजूद भूरे रंग के बैग से 11 किलो 100 ग्राम गांजा बरामद हुआ, जिसकी कीमत करीब ₹2,22,000 बताई गई है।
गिरफ्तार आरोपी
- समीर मोहम्मद शेख (45 वर्ष), निवासी चित्रकूट, उत्तर प्रदेश
- रामविलास साहू (22 वर्ष), निवासी कस्तूरबा नगर, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
पूछताछ में पता चला कि वे यह गांजा ओडिशा के केसिंगा से ला रहे थे। दोनों को एनडीपीएस एक्ट के तहत आगे की कार्रवाई के लिए शासकीय रेल पुलिस थाना दुर्ग को सौंपा गया।
सवाल जो जवाब मांगते हैं
- RPF की ये सफलता सराहनीय ज़रूर है, पर ये क्यों हर बार “ड्राइव” के वक्त ही होती है?
- क्या नियमित गश्त और निगरानी केवल कागज़ों में दर्ज होती है?
- क्या तस्कर सिर्फ तब ही पकड़ में आते हैं जब अफसरों की मौजूदगी हो?
छत्तीसगढ़ के रेलवे रूट्स लंबे समय से मादक पदार्थों की तस्करी के लिए चर्चित रहे हैं। ऐसी कार्रवाइयाँ दिखाती हैं कि तस्करी जारी है, मगर ये भी उजागर होता है कि RPF की रुटीन निगरानी कहीं न कहीं कमजोर है। क्या इसे लेकर रेलवे प्रशासन कोई स्थायी और ठोस रणनीति अपनाएगा या फिर अगली “विशेष ड्राइव” तक का इंतज़ार किया जाएगा?
अब वक्त है कि RPF खुद से पूछे – क्या ड्राइव के बाहर भी देश की रेलों में सुरक्षा सच में सक्रिय है?