Caste Census: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज हुई ‘सुपर कैबिनेट’ बैठक में देशभर के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया है। केंद्र सरकार ने आगामी जनगणना में जातिगत गणना शामिल करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय आज़ाद भारत में पहली बार लिया गया है और इसे देश की सामाजिक संरचना को समझने के लिहाज़ से बेहद अहम माना जा रहा है।
कैबिनेट की इस महत्वपूर्ण बैठक में प्रधानमंत्री के साथ केंद्र के शीर्ष मंत्री शामिल हुए। बैठक के बाद प्रेस को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स (CCPA) ने इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है कि अगली जनगणना में अब जातियों की गणना भी की जाएगी। यह निर्णय जातिगत सर्वेक्षण की मांग कर रहे विपक्षी दलों के दबाव के बीच आया है, जिसे बिहार चुनाव से पहले एक बड़े मास्टरस्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है।
विपक्ष की पुरानी मांग हुई पूरी
काफी समय से विपक्ष, खासकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी, इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर रहे हैं। बिहार में महागठबंधन सरकार के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य स्तरीय जातिगत सर्वे कराया था, जिसकी देशभर में सराहना हुई और इसके बाद जाति जनगणना की मांग ज़ोर पकड़ने लगी।
वैष्णव का कांग्रेस पर हमला
मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि आज़ादी के बाद से कांग्रेस सरकारों ने कभी जाति जनगणना नहीं कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि यूपीए सरकार के दौरान कुछ राज्यों में राजनीतिक फायदे के लिए केवल जातिगत सर्वेक्षण कराए गए, जबकि आज की सरकार एक समग्र दृष्टिकोण के तहत यह कदम उठा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह गणना जनगणना के भीतर ही की जाएगी, किसी अलग प्रक्रिया के तहत नहीं।
कैबिनेट के अन्य दो बड़े फैसले (Caste Census)
नॉर्थईस्ट में हाईस्पीड कॉरिडोर:
शिलॉन्ग से सिलचर (मेघालय-असम) के बीच 166 किलोमीटर लंबा और 6 लेन का हाईस्पीड कॉरिडोर बनाया जाएगा। इस परियोजना में करीब 22,864 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह पूर्वोत्तर भारत की कनेक्टिविटी के लिहाज़ से मील का पत्थर साबित होगा।
गन्ना किसानों को राहत:
सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए गन्ने की न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करते हुए इसे 355 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया है। यह सुनिश्चित किया गया है कि इससे कम दाम पर अब गन्ना नहीं खरीदा जा सकेगा। यह फैसला देश के करोड़ों गन्ना किसानों को सीधा फायदा पहुंचाएगा।
यह फैसला सिर्फ एक राजनीतिक निर्णय नहीं, बल्कि भारत की सामाजिक संरचना की समझ को गहराई देने वाला कदम है। जाति आधारित आंकड़े न सिर्फ योजनाओं को सटीक बनाने में मदद करेंगे, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के लिए प्रभावी नीतियां बनाने की दिशा में भी बड़ा योगदान देंगे।
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