Places of Worship Act 1991: ज्ञानवापी, मथुरा, और अब अजमेर,हिंदू पक्ष ने दी संवैधानिक चुनौती, मुस्लिम पक्ष ने उठाए सवाल…

Places of Worship Act 1991: सुप्रीम कोर्ट में 1991 के Places of Worship Act की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए एक विशेष बेंच का गठन किया गया है। यह बेंच 12 दिसंबर से इस मामले की सुनवाई शुरू करेगी। बेंच में CJI संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल होंगे। याचिका को भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी, कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर, भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दाखिल किया है।

हिंदू पक्ष का आरोप

याचिकाओं में हिंदू पक्ष का कहना है कि यह कानून हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख समुदाय के खिलाफ है। उनका तर्क है कि इस कानून के कारण वे अपने पूजा स्थलों और तीर्थ स्थलों को अपने अधिकार में नहीं ले पाते हैं। इसके चलते उनका धार्मिक अधिकार प्रभावित हो रहा है।

मुस्लिम पक्ष की प्रतिक्रिया (Places of Worship Act 1991)

वहीं, मुस्लिम पक्ष की ओर से जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इस याचिका पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि इस एक्ट के खिलाफ विचार करने से देशभर में मस्जिदों के खिलाफ मुकदमे बढ़ सकते हैं, जो सामाजिक और धार्मिक स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और ज्ञानवापी मस्जिद के प्रबंधन वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद मैनेजमेंट कमेटी ने भी इस याचिका को खारिज करने की मांग की है।

सर्वेक्षण की मांग और विवाद

हाल ही में कई अदालतों में मस्जिदों और मुस्लिम धार्मिक स्थलों पर सर्वेक्षण कराने की मांग वाली याचिकाएं दायर की गई हैं। इन याचिकाओं में दावा किया गया है कि कई मस्जिदें हिंदू मंदिरों को तोड़कर बनाई गईं। ताजा विवाद अजमेर शरीफ दरगाह और उत्तर प्रदेश के संभल की शाही जामा मस्जिद के आसपास हो रहा है। यह मामला ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही ईदगाह जैसे मुद्दों से जुड़ा हुआ है।

सर्वेक्षण का आदेश और हिंसा

सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन ने 19 नवंबर को उत्तर प्रदेश के संभल जिले के सिविल कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि जामा मस्जिद पहले हरिहर मंदिर थी। कोर्ट ने उस दिन ही याचिका स्वीकार कर जामा मस्जिद के सर्वे का आदेश दे दिया। इसके बाद, 24 नवंबर को सर्वे टीम जामा मस्जिद पहुंची, जहां पथराव और गोलीबारी के कारण 5 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने राजस्थान के अजमेर शरीफ दरगाह को संकटमोचन महादेव मंदिर होने का दावा किया, और कोर्ट ने इस याचिका को भी स्वीकार कर लिया।

देशभर में विवाद बढ़ा

यह सिलसिला अब देश के विभिन्न हिस्सों में फैल चुका है। पहले वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह और मध्यप्रदेश के धार जिले के भोजशाला मस्जिद को लेकर मुकदमे दायर किए जा चुके हैं। राम मंदिर के फैसले के बाद इस तरह के मामलों में तेजी देखी जा रही है, जो धार्मिक और सामाजिक ध्रुवीकरण को और बढ़ा सकते हैं।

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