No Detention Policy: केंद्र सरकार ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को समाप्त कर दिया है. इसके तहत अब 5वीं और 8वीं कक्षा के जिन छात्रों को वार्षिक परीक्षा में फेल कर दिया जाएगा, उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा. इन कक्षाओं के छात्रों को दूसरी बार परीक्षा का मौका दिया जाएगा, और अगर वे फिर से फेल हो जाते हैं तो उन्हें अगली कक्षा में प्रमोशन नहीं मिलेगा. हालांकि, सरकार ने यह साफ किया है कि किसी भी छात्र को उनकी प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक स्कूल से निष्कासित नहीं किया जाएगा.
यह निर्णय केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य छात्रों की सीखने की क्षमता में सुधार और शैक्षिक प्रदर्शन में सुधार लाना है. ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ की आलोचना लंबे समय से हो रही थी, क्योंकि यह नीति छात्रों को सीखने के प्रति जिम्मेदार नहीं बनाती थी और इससे शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट आई थी. अब सरकार ने इस नीति को समाप्त करते हुए कक्षा 5 और 8 के लिए परीक्षा में असफल होने वाले छात्रों को फेल करने का निर्णय लिया है.
केंद्र सरकार के आदेश के अनुसार, यह नियम केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों, और सैनिक स्कूलों जैसे केंद्र सरकार द्वारा संचालित 3,000 से अधिक स्कूलों में लागू होगा. वहीं, राज्य सरकारें इस मामले में अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होंगी, क्योंकि स्कूली शिक्षा राज्य का विषय है.
क्या था No Detention Policy?
‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ के तहत, छात्रों को 8वीं कक्षा तक की वार्षिक परीक्षा में फेल होने पर भी अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाता था. यह नीति 2010-11 से लागू की गई थी, और इसका उद्देश्य था कि किसी भी बच्चे को उनकी पढ़ाई के कारण हतोत्साहित न किया जाए. लेकिन इसके परिणामस्वरूप छात्रों की सीखने की गुणवत्ता में कमी आई और शिक्षा प्रणाली पर नकारात्मक असर पड़ा. इसका प्रभाव 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के परिणामों पर भी पड़ा, जहां कई छात्रों ने अच्छे अंक हासिल नहीं किए थे.
अब बदलेंगे शिक्षा के परिणाम
शिक्षा मंत्रालय के सचिव संजय कुमार ने कहा कि यह निर्णय छात्रों की पढ़ाई के परिणाम को सुधारने के लिए लिया गया है. उन्होंने बताया कि इस नीति से बच्चों की सीखने की क्षमता में गिरावट को रोकने का प्रयास किया जाएगा. मंत्रालय ने खास तौर पर कक्षा 5 और 8 को प्राथमिक शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना है, क्योंकि ये कक्षाएँ बुनियादी शिक्षा के रूप में जानी जाती हैं.
इस नई नीति के तहत, छात्रों और शिक्षकों को अधिक जिम्मेदारी दी जाएगी, ताकि पढ़ाई में सुधार हो और शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि हो सके.
लोकसभा में हुआ था संशोधन (No Detention Policy)
इस बदलाव की शुरुआत 2018 में लोकसभा में राइट टू एजुकेशन (RTE) में संशोधन के लिए एक बिल पेश किए जाने से हुई थी. इस बिल में 5वीं और 8वीं कक्षा के छात्रों के लिए नियमित परीक्षा की मांग की गई थी. बाद में 2019 में यह बिल राज्यसभा में पारित हुआ, जिससे राज्यों को ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ खत्म करने का अधिकार मिल गया.
अब शिक्षा के क्षेत्र में नया बदलाव आ रहा है, और उम्मीद जताई जा रही है कि इस नीति से भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार होगा और छात्रों के शैक्षिक परिणाम बेहतर होंगे.