Kushabhau Thakre University: ऑडिटोरियम खंडहर में तब्दील, 7 करोड़ की लागत से बना भवन उद्घाटन से पहले ही हुआ जर्जर…

राजधानी का विश्वविद्यालय, ऑडिटोरियम या भ्रष्टाचार की इमारत?

Kushabhau Thakre University: रायपुर। राजधानी के कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय का निर्माणाधीन ऑडिटोरियम एक बार फिर सुर्खियों में है। इस ऑडिटोरियम को देखकर यह सवाल उठता है कि यह वास्तव में एक ऑडिटोरियम है या फिर भ्रष्टाचार की प्रतीक इमारत! करोड़ों की लागत से बने इस ऑडिटोरियम का उद्घाटन भी अब तक नहीं हो सका है, और अब यह भ्रष्टाचार के बड़े आरोपों का सामना कर रहा है।

पत्रकारिता विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित इस ऑडिटोरियम की दीवारों की तस्वीर देखकर यह साफ नजर आता है कि यह कोई नया निर्माण नहीं, बल्कि यह इमारत पहले ही अपनी हालत खराब कर चुकी है। विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक यह ऑडिटोरियम अभी निर्माणाधीन है, लेकिन सवाल यह उठता है कि जब यह निर्माणाधीन है तो यह गिरने की स्थिति में कैसे पहुंच गया?

इस ऑडिटोरियम का निर्माण राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) ने 7 करोड़ की लागत से कराया है, लेकिन ऑडिटोरियम बनने के सात साल बाद भी यहां एक भी कार्यक्रम का आयोजन नहीं हुआ है। वहीं, यह भी पता चला है कि निर्माण कार्य पूरा होने के बावजूद, दीवारों में दरारें और बीम में खामियां दिखाई दे रही हैं।

7 करोड़ का घोटाला? (Kushabhau Thakre University)

रूसा (राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान) द्वारा 7 करोड़ की लागत से बने इस ऑडिटोरियम की स्थिति गंभीर सवालों को जन्म देती है। जिस उद्देश्य से इस ऑडिटोरियम का निर्माण किया गया था, वह अब तक अधूरा ही है। विश्वविद्यालय ने इसे हैंडओवर करने से मना किया है क्योंकि पीडब्ल्यूडी द्वारा किए जाने वाले कुछ कार्य अभी बाकी हैं।

जिम्मेदार हैं कहां?

जब इस स्थिति को लेकर विश्वविद्यालय के कुलपति बलदेव भाई शर्मा से संपर्क किया गया, तो उनका कार्यालय बंद मिला और फोन पर कोई जवाब नहीं मिला। वहीं, रजिस्ट्रार सुनील शर्मा ने बताया कि ऑडिटोरियम की मरम्मत के लिए रूसा (राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान) को पत्र लिखा गया है, लेकिन काम अधूरा होने के कारण हैंडओवर नहीं लिया गया है।

क्या रूसा और विश्वविद्यालय प्रशासन पर सवाल उठने चाहिए? (Kushabhau Thakre University)

अब सवाल यह उठता है कि जब ऑडिटोरियम की आवश्यकता नहीं थी, तो इसे क्यों बनाया गया? 7 करोड़ की लागत से यह निर्माण क्यों किया गया और उसकी जांच अब तक क्यों नहीं हुई? क्यों विश्वविद्यालय प्रशासन चुप्पी साधे हुए है, जबकि ऑडिटोरियम खंडहर में तब्दील हो रहा है? और सबसे महत्वपूर्ण, जब काम अधूरा था तो पीडब्ल्यूडी, रूसा और विश्वविद्यालय प्रशासन पिछले सात सालों से चुप क्यों रहे?

इन सभी सवालों के जवाब अब जरूरी हैं, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि आखिरकार इस निर्माण के पीछे की असलियत क्या है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Popular

More like this
Related

Gangster Aman Sahu: 17 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में रखा कदम, 3 साल में 10 बार गया जेल…

Gangster Aman Sahu: झारखंड का कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू...