नई दिल्ली। हॉलीवुड फिल्म ‘ओपेनहाइमर’ को भारत में बैन करने की मांग उठ रही है। फिल्म के एक सीन पर आपत्ति जताई गई है। इसमें श्रीमद्भगवत गीता श्लोक का एक गलत चित्रण के दौरान उपयोग किया गया है। जिससे धार्मिक भावना हुई है। विरोध के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने सेंसर बोर्ड को सीन को हटाने के लिए कहा है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर सेंसर बोर्ड ने कैसे सीन को पास कर दिया।
फिल्म के सीन पर आपत्ति क्यों
‘ओपेनहाइमर’ फिल्म का डायरेक्टर क्रिस्टोफर नोलन है। फिल्म परमाणु बम के जनक साइंटिस्ट रॉबर्ट ओपेनहाइमर की जीवन पर आधारित है। इस फिल्म में भगवद गीता का जिक्र दो तरह से है। पहला कि परमाणु बम का टेस्ट करने के बाद ओपेनहाइमर ने अपनी स्पीच में गीता के श्लोक के बारे में बात की थी।
दूसरा जिक्र फिल्म में सेक्स सीन के दौरान गीता पढ़ी गई, जिस पर भारतीय दर्शक खासे नाराज हैं। डायरेक्टर नोलन ने अपनी फिल्मों में कई बार इंडिया को दिखाया है। लेकिन इस बार एक सेक्स सीन पर देश के पवित्र ग्रंथ श्रीमद्भगवत गीता का श्लोक पढ़ते दिखाया गया है। जिस पर बवाल मचा हुआ है। लोग आपत्ति जता रहे हैं।
बीआर चोपड़ा के चर्चित शो ‘महाभारत’ में श्रीकृष्ण की भूमिका निभाने वाले नितीश भारद्वाज ने ‘ओपेनहाइमर’ की पैरवी की है। ईटाइम्स से बात करते हुए नितीश ने कहा कि, “श्लोक 11.32 के मुताबिक, कृष्ण के पूरे श्लोक को सही से समझने की जरूरत है। वह कहता है कि मैं वह शाश्वत काल हूं जो सब कुछ नष्ट कर देगा। इसलिए हर कोई मर जाएगा भले ही आप उन्हें न मारें। इसलिए अपना कर्तव्य निभाओ।”
जब ओपेनहाइमर को लगा परमाणु बम का आविष्कार भविष्य में मानव जाति को नष्ट कर देगा और शायद इसलिए वह इसके लिए पछतावा कर रहे थे। फिल्म में इस कविता के प्रयोग को ओपेनहाइमर की इमोशनल मनोस्थिति से भी समझा जाना चाहिए। एक वैज्ञानिक 365 दिन अपनी रचना के बारे में सोचता है, चाहे वह कुछ भी कर रहा हो।” “उनका पूरा दिमाग सिर्फ उनके क्रिएशन पर होता है और उनका फिजिकल एक्ट सिर्फ एक नेचुरल मैकेनिकल एक्ट है।”
नितीश भारद्वाज ने लोगों से अपील की कि वे ‘ओपेनहाइमर’ को समझने की कोशिश करें। उन्होंने UN को परमाणु निरस्त्रीकरण को गम्भीरता से लागू करने की सलाह दी। साथ ही नोलन के मैसेज को लाउड और क्लियर बताया है।
इस विवाद पर बॉलीवुड डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा का रिएक्शन सामने आया है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘विडम्बना ये है कि एक अमेरिकी परमाणु वैज्ञानिक ओपेनहाइमर ने भगवद्गीता पढ़ी है, जिस पर मुझे संदेह है कि 0.0000001% भारतीय भी पढ़ते हैं।’
लोगों का कहना है कि फिल्म छोटी उम्र से लेकर बड़ी उम्र के लोग देखते हैं, ऐसे में जिस सीन पर श्लोक का उपयोग किया गया है, उसका समाज पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। सीन जो दिखाया गया है, वह गलत है, उसे किसी भी आधार पर सही नहीं ठहराया जा सकता है।