रायपुर। कांग्रेस में प्रत्याशियों की घोषणा के बाद बगावत का दौर जारी है। पार्टी में विरोध इतना तेज है कि राजधानी रायपुर की 70 पार्षद सीटों में से केवल 66 नामों का ऐलान किया गया था, जबकि 4 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा रोक दी गई थी। अब खबर आ रही है कि रुकी हुई चार सीटों में से एक पर फैसला हो गया है।
पूर्व महापौर की पत्नी को टिकट
रायपुर नगर निगम के मौलाना अब्दुल रऊफ वार्ड-45 से कांग्रेस ने पूर्व महापौर एजाज ढेबर की पत्नी अर्जुमन ढेबर को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। इस फैसले के बाद कांग्रेस ने एक ही परिवार से दो लोगों को टिकट देकर सियासी हलकों में चर्चा को तेज कर दिया है।
फोन पर दी गई नामांकन की सूचना
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने अपने प्रत्याशियों को फोन पर ही सूचना देकर नामांकन दाखिल करने को कहा है, हालांकि अभी तक कांग्रेस की ओर से इस पर आधिकारिक बयान नहीं आया है। नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन बाकी बची तीन सीटों को लेकर अभी भी असमंजस बरकरार है।
तीन वार्डों में अब भी फंसा पेच
बता दें कि रायपुर नगर निगम के मौलाना अब्दुल रऊफ वार्ड-45, मदर टेरेसा वार्ड-47, डॉ. राजेंद्र प्रसाद वार्ड-52 और अरविंद दीक्षित वार्ड-56 पर उम्मीदवारों के चयन को लेकर अंदरूनी खींचतान के कारण नामों की घोषणा नहीं हो पाई थी। अब कांग्रेस ने वार्ड क्रमांक 45 से अर्जुमन ढेबर को प्रत्याशी बना दिया है, लेकिन बाकी तीन सीटों पर स्थिति स्पष्ट नहीं है।
समर्थकों में जश्न, जमकर फोड़े पटाखे
अर्जुमन ढेबर को पार्षद प्रत्याशी बनाए जाने के ऐलान के बाद उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़कर जश्न मनाया और अर्जुमन ढेबर को बधाइयां दीं।
नगरीय निकाय चुनाव का शेड्यूल
छत्तीसगढ़ में 20 जनवरी से आचार संहिता लागू हो चुकी है। नगरीय निकाय चुनाव की नामांकन प्रक्रिया 22 जनवरी से 28 जनवरी तक चली, जबकि नाम वापसी की अंतिम तिथि 31 जनवरी है। वोटिंग 11 फरवरी को होगी और 15 फरवरी को नतीजे घोषित किए जाएंगे। इस बार चुनाव इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से कराए जाएंगे।
इन नगर निगमों में होंगे चुनाव
इस बार छत्तीसगढ़ के 10 प्रमुख नगर निगमों में चुनाव होंगे, जिनमें अंबिकापुर, कोरबा, चिरमिरी, जगदलपुर, दुर्ग, धमतरी, बिलासपुर, राजनांदगांव, रायगढ़ और रायपुर नगर निगम शामिल हैं।
अब देखना यह होगा कि बाकी तीन वार्डों में कांग्रेस किसे अपना उम्मीदवार बनाती है और क्या बगावत का यह दौर थमता है या नहीं!