रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित जग्गी हत्याकांड मामले में हाईकोर्ट ने कोर्ट में सरेंडर डेट आगे बढ़ाने की याचिका लगाने वाले आरोपी अभय गोयल, आरसी त्रिवेदी की याचिका को रद्द कर दिया है। मामलें में सजा पाने वालों में तीन पुलिस अधिकारी अमरीक सिंह गिल, वीके पांडे और आरसी त्रिवेदी के अलावा याहया ढेबर, अभय गोयल, फिरोज सिद्दीकी, अवनीश सिंह लल्लन, सूर्यकांत तिवारी, चिमन सिंह, सुनील गुप्ता, राजू भदौरिया, अनिल पचौरी, रविंद्र सिंह, रवि सिंह, लल्ला भदौरिया, धर्मेंद्र, सत्येंद्र सिंह, शिवेंद्र सिंह परिहार, विनोद सिंह राठौर, संजय सिंह कुशवाहा, राकेश कुमार शर्मा, (मृत) विक्रम शर्मा, जबवंत, विश्वनाथ राजभर हैं। बुल्टू पाठक और सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह बन गए थे।
इस केस का फैसला आने के बाद सजा काट रहे दोषियों की तरफ से हाईकोर्ट में सजा के खिलाफ 22 अपील दायर की थी। इस अपील की सुनवाई लंबी चली, जिसमें हाईकोर्ट ने बहस के बाद 29 फरवरी को रामावतार जग्गी हत्याकांड के दोषियों की अपील पर अंतिम सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रखा था।
इस फैसले का आदेश 4 अप्रैल को जारी किया गया। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद वर्मा की डिवीजन बेंच ने आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। बेंच ने फैसले में कहा है कि सभी दोषियों को एक हफ्ते में ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करना होगा। सेशन कोर्ट में स्पेशल जज एस्ट्रोसिटी बीएल तिड़के ने सभी दोषियों को सजा सुनाई थी।
हाईकोर्ट ने जग्गी हत्याकांड के आरोपियों की अपील खारिज करते हुए 28 आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई है. हाईकोर्ट चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस अरविंद वर्मा डिवीजन बेंच ने आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। आजीवन कारावास की सजा पाने वालों में दो तत्कालीन सीएसपी और एक तत्कालीन थाना प्रभारी के अलावा याहया ढेबर और शूटर चिमन सिंह समेत अन्य शामिल हैं।
जग्गी हत्याकांड के आरोपी याहया ढेबर और फिरोज सिद्दीकी ने हाईकोर्ट में अपने-अपने वकीलों के जरिए आवेदन लगाया है जिसमें उन्होंने सरेंडर डेट बढ़ाने की मांग की है। सूत्रों के मुताबिक इस आवेदन पर सोमवार को सुनवाई होने की पूरी संभावना है। सूत्रों के मुताबिक ये भी जानकारी सामने आ रही है कि सौम्या चौरसिया ने भी अपनी जमानत की अर्जी स्पेशल कोर्ट में लगाई है जिसकी सुनवाई कल हो सकती है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में राकांपा नेता रामावतार जग्गी हत्याकांड के 30 आरोपियों की अपील को ख़ारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस अरविंद वर्मा डिवीजन बेंच ने उनकी आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। निचली अदालत के फैसले को बरकरार करते हुए आरोपीगणों को अपनी सजा काटने के लिए 7 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करना होगा वरना पुलिस इस मामले से जुड़े सभी आरोपियों को हिरासत में लेगी।
इस मामलें की सुनवाई इसी साल फरवरी में 29 तारीख को उच्च न्यायालय में हुई थी जिसका फैसला 4 अप्रैल 2024 को आया है। यह हत्याकांड का मामला कांग्रेस की जोगी सरकार के चला चली के समय साल 2003 का है। जिसमें 31 आरोपी बनाए गए थे। सभी आरोपियों को अपनी सजा की माफ़ी के लिए और जेल जाने से बचने के लिए सर्वोच्च न्यायलय में SLP पिटीशन लगानी पड़ेगी तथा कारावास में सरेंडर करने लिए छूट के लिए अपील करने पड़ेगी।