भिलाई में पत्रकार पर हमला: पशु क्रूरता का विरोध करने पर शिक्षक ने की मारपीट, FIR दर्ज, पत्रकारों में आक्रोश…

भिलाई। पत्रकार समाज की आवाज होते हैं, लेकिन जब एक पत्रकार पशु क्रूरता के खिलाफ खड़ा हो तो क्या उसे शारीरिक हमले का सामना करना पड़ेगा? ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला गुरुवार को भिलाई में सामने आया, जहां जम्मू-कश्मीर के एक प्रतिष्ठित स्कूल के प्रिंसिपल सचिन शुक्ला और उनके साथी अवनीश कुमार ने पत्रकार लाभेश घोष से गाली-गलौज और मारपीट की।

क्या है पूरा मामला?

पीड़ित पत्रकार लाभेश घोष ने बताया कि वह स्मृति नगर चौकी क्षेत्र में पशु क्रूरता के खिलाफ आवाज उठा रहे थे, तभी शिक्षक सचिन शुक्ला ने न सिर्फ गाली-गलौज की बल्कि मोबाइल छीनकर शारीरिक हमला भी किया। उन्होंने कई मुक्के मारे और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। इस दौरान उनके मित्र और पड़ोसी अवनीश कुमार ने भी उनका साथ दिया।

पुलिस ने दर्ज किया मामला, पत्रकारों में आक्रोश

इस मामले में स्मृति नगर चौकी पुलिस ने BNS की धारा 296, 115(2) और 3(5) के तहत मामला दर्ज कर लिया है। हालांकि, अब तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है, जिससे पत्रकारों में गहरी नाराजगी है। उन्होंने जल्द से जल्द गिरफ्तारी की मांग की है।

एक शिक्षक ने किया हिंसा, तो क्या सीखेंगे छात्र?

पीड़ित पत्रकार ने कहा, “एक शिक्षक का कर्तव्य है कि वह समाज को नैतिकता, करुणा और अहिंसा का पाठ पढ़ाए, लेकिन जब वही शिक्षक हिंसा करता है, तो यह पूरी शिक्षा प्रणाली पर सवाल खड़े करता है।” उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसे शिक्षक बच्चों को क्या सिखाएंगे? क्या हम ऐसे समाज में रहना चाहते हैं जहां नैतिकता और संवेदनशीलता खत्म होती जा रही है?

पशुओं की सुरक्षा के लिए कानून क्या कहते हैं?

  • पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 – यह कानून पशुओं के प्रति किसी भी प्रकार की क्रूरता को अपराध मानता है और दोषियों पर कार्रवाई का प्रावधान करता है।
  • BNS 325 – किसी भी पशु को गंभीर चोट पहुंचाना दंडनीय अपराध है और इसके लिए कठोर सजा का प्रावधान है।
  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51(G) – प्रत्येक नागरिक को पशुओं को भोजन कराने और उनकी सुरक्षा करने का मौलिक अधिकार है। किसी को भी उन्हें मारने या प्रताड़ित करने का अधिकार नहीं है।

न्याय की मांग: क्या हिंसा को यूं ही बर्दाश्त किया जाएगा?

पीड़ित पत्रकार लाभेश घोष ने प्रशासन से मांग की है कि सचिन शुक्ला और अवनीश कुमार के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ मेरे साथ हुई घटना नहीं है, बल्कि यह समाज में बढ़ती हिंसा और अन्याय को उजागर करता है। अगर आज इसे नजरअंदाज किया गया, तो कल यही हिंसा किसी और के साथ हो सकती है।”

उन्होंने सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और जागरूक नागरिकों से अपील की कि इस मामले को गंभीरता से लें और न्याय की मांग करें। “अगर हम आज चुप रह गए, तो कल यही अन्याय हमारे और हमारे बच्चों के खिलाफ भी हो सकता है।”

आप क्या सोचते हैं? क्या ऐसे शिक्षकों को स्कूलों में पढ़ाने देना चाहिए? अपनी राय कमेंट में दें!

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