रायपुर। छत्तीसगढ़ में मीसाबंदी पेंशन योजना पर सियासत जारी है। प्रदेश की नई भाजपा सरकार ने फिर से इस योजना को शुरू करने की घोषणा की है, जिस पर कांग्रेस पार्टी ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि मीसाबंदी पेंशन योजना बीजेपी और आरएसएस के लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचाने की योजना है। यह छत्तीसगढ़ के खजाने की सरकार के संरक्षण में होने वाली संगठित लूट है। इसे रमन सरकार में शुरू किया गया था, लेकिन मीसाबंदी पेंशन के नाम पर छत्तीसगढ़ के खजाने में चल रही लूटपाट को 2018 में कांग्रेस की सरकार आने पर रोका गया था। लेकिन अब फिर से बीजेपी की सरकार आने पर इसे शुरू किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री साय ने प्रदेश के मीसाबंदी को फिर से सम्मान निधि राशि देने की घोषणा की है। उन्होंने विधानसभा में यह घोषणा की। 2018 में कांग्रेस की सरकार आने के बाद मीसाबंदी को दी जाने वाली पेंशन पर रोक लगा दी गई थी।
मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट क्या है?
25 जून 1975 की आधी रात को देश भर में आपातकाल लागू कर दिया गया था। इस दौरान संविधान में दिया गया नागरिक अधिकारों को भी निलंबित कर दिया गया था। बंदी प्रत्यक्षीकरण कानून समाप्त कर दिया गया। जिसके बाद गिरफ्तार व्यक्ति को अदालत में 24 घंटे के भीतर प्रस्तुत करने का नियम भी शिथिल हो गया। मीसा कानून के तहत कांग्रेस शासित राज्यों के 1 लाख विरोधी जेल में डाल दिए गए। अविभाजित मध्य प्रदेश में भी उन दिनों कांग्रेस सरकार थी। मीसा का पूरा नाम बताया गया मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट। मजेदार तो यह था कि इस गिरफ्तारी को अदालत में चैलेंज भी नहीं किया जा सकता था। इस दौरान मीसा कानून के तहत बंदी बनाए गए लोगों को मीसाबंदी कहा जाता है।
प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद आपातकाल में जेल गए मीसाबंदीयों को लोकतंत्र सेनानी बताते हुए उन्हें सम्मान निधि देना शुरू किया गया था। रमन सिंह के तीसरे कार्यकाल में यह राशि बढ़ाकर 15 हजार रुपए दी गई थी। अब दोबारा पेंशन शुरू करने की सरकार की इस घोषणा के बाद मीसाबंदीयों में खुशी है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कही ये बात-
कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा विष्णु देव साय की सरकार बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता नहीं दे पा रही है। गोबर खरीदी को बंद कर दिया गया है। किसान न्याय योजना, कृषि मजदूर न्याय योजना की हितग्राहियों को बकाया किस्त का भुगतान नहीं कर रही है, लेकिन आरएसएस और भाजपा के प्रचारकों को लाभ पहुंचाने के लिए मीसाबंदी पेंशन को फिर शुरू करने का ऐलान कर दिया है। छत्तीसगढ़ के खजाने को आर्थिक चपत लगाई जा रही है, मीसाबंदी पेंशन को बंद किया जाना चाहिए वह राज्य के लिए आर्थिक क्षति है।